एक मोहक चुम्बन

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एक मोहक चुम्बन
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एक मोहक चुम्बन

यह एक काल्पनिक रचना है। नाम, चरित्र, संस्थान, स्थान, घटनाएँ व प्रसंग या तो लेखक की कल्पना द्वारा रचित हैं अथवा काल्पनिक रूप से प्रयोग किए गए हैं।

कॉपीराइट © अमैन्डा मैरियल

सभी अधिकार सुरक्षित हैं।

प्रकाशक की विशेष लिखित अनुमति के बिना इस पुस्तक का कोई भी भाग पुनः प्रस्तुत, या किसी उद्धरण तकनीक द्वारा सुरक्षित रखना, या किसी भी अन्य साधनों जैसे इलेक्ट्रॉनिक, मानवीय, फोटोकॉपी, रिकॉर्डिंग या किसी और तरीके द्वारा प्रसारित नहीं किया जा सकता है।

बुक रिज प्रेस द्वारा प्रकाशित

Created with Vellum

Contents

समर्पण

प्रस्तावना

अध्याय 1

अध्याय 2

अध्याय 3

अध्याय 4

अध्याय 5

अध्याय 6

अध्याय 7

उपसंहार

लेखिका की टिप्पणी

अमैन्डा मैरियल के बारे में

आपकी राय महत्वपूर्ण है!

समर्पण


यह पुस्तक उन सभी के लिए है जिन्हें भिन्न होने के लिए अन्याय सहना पड़ा है या अत्याचार का सामना करना पड़ा है। संसार को और अधिक दयालुता की आवश्यकता है-आइए, इसका आरंभ हम स्वयं से करें और पूरे विश्व में इसे प्रसारित करें।

प्रस्तावना


फ़्रांस, 1605

आटा गूँधते हुए मुआह माँ और लिली की तरफ देखकर मुस्कुराई। वे दोनों उसके सामने वाले काउन्टर पर खड़ी हुई अपने-अपने गिलगिले आटे को गूँध रही थीं। लिली के गालों पर सूखे आटे की एक लकीर थी, जबकि माँ के एप्रन पर उनके हाथों के निशान थे। मुआह ने कल्पना की कि वह भी अजीब दिख रही होगी क्योंकि जब पकाने का काम खत्म हो जाता था, वह हमेशा अजीब दिखती थी। “आज कितनी ब्रेड बनानी है?”

“ज़्यादा नहीं। छः काफी होनी चाहिए।“ माँ ने अपने आटे को पलटा और दोबारा मुट्ठियों से कुचल कुचल कर गूँधने लगीं। “हमारे पास चार ब्रेड के ऑर्डर हैं। दो हवेली के लिए, और एक-एक सराय और मिसेज़ मुहो के लिए। एक-दो ज़्यादा बनाकर तैयार रखना अच्छा होता है।“

रसोई की गर्मी से मुआह के माथे पर पसीने की बूंदें आ गई थीं, लेकिन उसने उन्हें पोंछने की हिम्मत नहीं की। आटे को गूँधते-गूँधते उसने एक तेज़ साँस छोड़ी, फिर खिड़की के बाहर नज़र डाली। आसमान में सूरज चढ़ आया था और गाँव पर तेज़ी से चमक रहा था।

“तुम्हें शिकायत नहीं करनी चाहिए मुआह।“ लिली ने माथे से एक लट हटाई जिससे उसके माथे पर सफ़ेद पाउडर की एक और लकीर खिंच गई। “हम खुशकिस्मत हैं कि गाँव के इतने सारे लोग हमारी बेकरी से सामान खरीदते हैं।“

“मैं शिकायत नहीं कर रही थी।“ मुआह ने अपनी जुड़वाँ बहन की तरफ देखा। “केवल एक सवाल पूछ रही थी।“

फ्रांस उसे रास आया था- उन सभी को। स्कॉटलैंड से फरार होने के बाद के वर्षों में उन्होंने यहाँ एक आरामदायक घर बना लिया था और एक स्थिर आय का साधन भी। दा के पास अपनी लोहार की दुकान थी और ऐलिस आंटी, जो सालों पहले उनकी माँ बन गई थीं, अपनी ब्रेड और पेस्ट्रीज़ बेच कर घर की आमदनी में सहयोग करती थीं।

और तो और, जब वे यहाँ आ कर बसे, तब से गाँव वाले भी उनके प्रति दयालु और दरियादिल रहे थे। इतने सालों में उनके कई दोस्त भी बन गए थे। यहाँ तक कि मुआह ने तो गाँव के नौजवानों में से एक के साथ डेटिंग भी शुरू कर दी थी। बस्चियाँ रूह ने मुआह के घर आना-जाना एक हफ्ते पहले शुरू किया था और मुआह ने पाया कि वह इस सुंदर नौजवान के प्रति काफी आकर्षित थी।

ज़ाहिर है उसे प्यार नहीं हुआ था, लेकिन उसका मानना था कि समय के साथ उनके बीच यह भावना भी पनप सकती है। इस विचार से उसके होंठ एक हल्की मुस्कान में फैल गए। “बल्कि मुझे तो बहुत सुखी महसूस होता है।“

मुआह ने अपने गूँथे हुए आटे हो एक तरफ रखा तथा और सूखा आटा लेने के लिए हाथ बढ़ाते हुए लिली की तरफ त्योरियाँ चढ़ाईं। “मैं उम्मीद करती हूँ कि हमें फ्रांस कभी न छोड़ना पड़े।“

“सचमुच।” लिली के चेहरे का भाव एक पल के लिए गड़बड़ाया, और उसका खुशमिज़ाज अंदाज़ कटु हो गया। “भूल जाओ मैंने कुछ कहा था।“

मुआह अपने अंदर फैलती संतुष्टि के साथ हँसी। लेकिन उसकी जगह तुरंत चिंता ने ले ली। लिली के गड़बड़ाने से उसे याद आया कि सब कुछ ठीक नहीं था।

लिली आजकल बहुत तनाव में रहती थी, घबराहट की शिकायत करती थी और गाँव में धीरे-धीरे फैलते हुए डर का दावा करती थी, और मुआह खुद भी इनकार नहीं कर सकती थी कि उसके खुद के आभास बढ़ गए थे। इसी तरह लड़कियों के भाई, समुएल और लैखलेन को भी बेचैनी भरे अनुभव हो रहे थे।

लैखलेन अपनी शक्तियों के बारे में कभी ज़्यादा बात नहीं करता था, हालांकि कुछ दिनों से वह और भी ज़्यादा चुपचाप रहने लगा था, जो मुआह को ठीक नहीं लग रहा था। समुएल सारे बच्चों में सबसे ज़्यादा चिंताजनक था। वह परिवार को ज़ोर दे कर फ्रांस छोड़ने के लिए कहता था, लेकिन अपनी इस ज़िद के पीछे कोई कारण नहीं बता पाता था।

किस कदर मुआह यह जानने के लिए बेचैन थी कि क्या चल रहा है।

पिछले हफ्ते में उसे तीन आभास हुए थे, लेकिन कुछ समझ में नहीं आया। पहले दो तो तेज़ी से गुज़रते हुए दृश्य थे, जिनमें अनजान औरतें अनजान जगहों पर दिखाई दी थीं। सबसे हाल ही के आभास में उसे अपनी पड़ोस में रहने वाली औरत दिखाई दी। यह वाला आभास थोड़ा ज़्यादा शक्तिशाली और देर तक टिकने वाला था, लेकिन समझ में फिर भी न के बराबर ही आया।

सपने में मुआह की विधवा पड़ोसन, पियाह एक अंधेरे कोने में दुबक कर रो रही थी और किसी से मिन्नतें कर रही थी। “नहीं, प्लीज़। तुम्हें गलतफ़हमी हुई है। प्लीज़,“ उसने मिन्नत की। फिर वह सपना जितनी तेज़ी से आया था, उतनी ही तेज़ी से चला गया। मुआह ने एक धीमी साँस छोड़ी, उस बुरे एहसास को दूर धकेलने के लिए जो उसका दम घोंट रहा था।

“क्या बात है, मुआह? लिली ने मुआह को अपनी हमदर्दी-भरी नज़र में कैद करते हुए हाथों से सूखा आटा झड़ाया। “छिपाने की कोशिश मत करो। मुझे महसूस हो रहा है कि तुम परेशान हो और मेरे ख्याल से हमारे झगड़े से इसका कोई लेना-देना नहीं है।“

मुआह को ज़रा-सी भी हैरानी नहीं हुई, क्योंकि यह लिली की शक्ति थी की वह दूसरों की भावनाएँ महसूस कर सकती थी। पिछले कुछ दिनों उसने बहुत कोशिश कर के अपनी चिंता और डर दबा कर रखा था, ताकि उसकी भावनाओं से लिली और लैखलेन चौंक न जाएँ। लेकिन अब कोई फायदा नहीं था। उसको सच बताना ही पड़ेगा। “मुझे कुछ समय से आभास हो रहे हैं।“

माँ काउन्टर के पीछे से ही उसकी तरफ झुकीं, उनके झुर्रीदार चेहरे की एक एक लकीर पर चिंता झलक रही थी। “तुम्हें हमें बताना होगा कि तुमने क्या देखा, बच्ची।“

“मुझे अफ़सोस है कि बताने को कुछ खास नहीं है। वे सिर्फ तेज़ी से आती-जाती झलक जैसे हैं, जिनसे समझ में कुछ भी नहीं आता लेकिन एक वह मुझे ऐसा एहसास दे जाते हैं कि कुछ बुरा होने वाला है।“ दरवाज़े के चरमराने की आवाज़ पर मुआह ने घर के प्रवेश द्वार की ओर नज़र डाली। “दा आप……जल्दी आ गए।“

उसका दिल बैठ गया जब समुएल और लैखलेन उनके पीछे चहलकदमी करते हुए अंदर आए। ये लड़के जन्म से तो उसके कज़िन थे लेकिन बहुत पहले से उसके भाई बन गए थे। दोनों के पास अपनी खास शक्ति थी – या लैखलेन के मामले में, शक्तियाँ – क्योंकि उसके पास तीनों शक्तियाँ थीं। समुएल के पास लोगों के रंग देखने की क्षमता थी – उनकी आत्माओं के इरादे समझने की।

दा धीमे कदमों से रसोई के अंदर आए, जबकि समुएल के घर का लकड़ी से बना भारी दरवाजा बंद किया। “लैखलेन को आभास हुआ।“

“जैसे मुआह को हुआ।“ माँ ने दा को गले लगाया, और दा ने माँ के माथे पर एक चुम्बन दिया। “वह अभी-अभी लिली और मुझे उसके बारे में ही बता रही थी।“

“तुमने क्या देखा?” लैखलन और मुआह ने एक साथ एक-दूसरे से पूछा, उनकी आवाज़ें छोटे से कमरे में गूँज रही थीं।

डर की एक लहर मुआह को सिर से पैर तक झिंझोड़ गई। “पहले तुम,” उसने कहा, फिर एक कुर्सी पर धम्म से बैठ गई, थकान उसको गिरफ्त में रही थी। गर्मी और अपने तनाव के कारण, एक दिन में उसके लिए बहुत हो गया था।

फिर भी, उसे जानना ही था कि लैखलन ने क्या देखा था। अपनी ठुड्डी को मुट्ठी पर टिकाते हुए, उसने अपना ध्यान लैखलन पर केंद्रित किया।

वह कुछ कह पाता, उस से पहले ही एक तेज़ चीख ने कमरे को चीर दिया, और मुआह उछल कर खड़ी हो गई। “क्या झमेला है?” वह दा और लैखलन के पीछे खिड़की पर पहुँची जहाँ माँ, समुएल, और लिली भी जल्दी से आ गए।

“इतना सारा भय,” लिली ने कांपती आवाज़ में फुसफुसा कर कहा।

मुआह ने एक गहरे साँस खींची, उसकी नज़रें बाहर हो रहे दृश्य पर जमी हुई थीं। डर से उसका गला भिंच गया। कांपते हाथों से, उसने खिड़की की चौखट का सहारा लिया।

दो आदमियों ने विधवा पियाह को पकड़ा हुआ था और चीखती और पैर फटकारती पियाह को उसके घर से घसीट कर ले जा रहे थे। मुआह ने थूक गटका, नज़रें फेरने की इच्छा होते हुए भी वह देखने से खुद को रोक नहीं पा रही थी। वह गली में दौड़ कर जाना चाहती थी। बेचारी वृद्ध विधवा की मदद करना चाहती थी। उन आदमियों को सख्ती से कहना चाहती थी कि उसे छोड़ दें। लेकिन वह ताकने के अलावा कुछ नहीं कर पाई।

समुएल ने कहा, “और क्रोध…..उनके प्रभामंडल सुर्ख लाल हैं।“

लिली अपने चहरे को हाथों में छिपाते हुए दूर चली गई। “वह बेहद भयभीत है.....बेहद परेशान है। वे उसे क्यों ले जा रहे हैं?”

“वह निर्दोष है.....” लैखलन ने अपना सिर हिलाया।

दा ने अपनी बाँह लिली के कंधे पर लपेटी। “यहाँ आओ, बच्ची।“ वे उसे एक कुर्सी की तरफ ले गए और बाकी लोगों की तरफ मुड़ने से पहले उसे बैठने में मदद की। “लैखलन, बेहतर होगा कि अब तुम सबको बताओ कि तुमने क्या देखा।“

समुएल ने दा की बाँह एक हल्के झटके से हिलाई। “हम जितना सामान बटोर सकें, उसे पैक कर के यहाँ से निकलना चाहिए। वह लड़कियों को सफर के दौरान बता सकता है।“

माँ ने समुएल को अपनी बाहों में भर कर करीब खींच लिया। “शांत हो जाओ।“

 

मुआह ने अपना पूरा ध्यान लैखलन की तरफ किया और अपना निचला होंठ कुतरते हुए उसके बोलने का इंतज़ार करने लगी। वह शर्त लगा सकती थी कि लैखलन का पूर्वाभास उसके आभास से मेल खाता होगा। हो सकता है उसने उस खोई हुई कड़ी को भी देख लिया हो जिसके मिलने पर मुआह अपने दृश्यों का अर्थ समझ सके।

लैखलन ने एक निगाह छत की तरफ डाली और एक धीमी साँस छोड़ी। “मैंने वह देखा था।“ उसने खिड़की की तरफ इशारा किया। “विधवा पियाह पर जादू-टोना करने का आरोप लगाना और घसीट कर ले जाना।“ उसके बगल में उसके हाथ मुट्ठियों में भिंच गए। “वह डायन नहीं है। सिर्फ एक अकेली बूढ़ी औरत है।“

मुआह ने अपने भर-आए गले को रोकने के लिए कुछ निगलने जैसी हरकत की। “मैंने भी उसे देखा था। एक अंधेरी, गंदी जगह पर। वह डरी हुई थी और किसी के सामने गिड़गिड़ा रही थी।“

दा का मज़बूत हाथ मुआह के कंधे पर आ गया और उसने खड़े-खड़े ही उनकी बाँह से अपना सिर टिका दिया।

लैखलन ने अपना सिर हिलाया। “मुझे डर है कि समुएल सही है। हम यहाँ ज़्यादा समय तक नहीं रह सकते।“

मुआह का दिल बैठ गया। उसकी फ्रांस को – बस्चियाँ को छोड़ कर जाने की इच्छा नहीं थी। उसने अपना सिर उठाया और तन कर खड़ी हो गई। “आखिर क्यों नहीं? यह हमारा घर है।“

“यहाँ दूसरों के मुकाबले हम लोग कहीं ज़्यादा खतरे में हैं।“ लैखलन ने उसे जाने-पहचाने अंदाज़ में घूरा।

“नहीं, हम सावधानी से रहे हैं।“ मुआह ने अपनी पीठ सीधी की और ठोड़ी ऊँची उठाई। “किसी को हमारा रहस्य नहीं पता है।“

“मैंने लिली को ज़ंजीरों में जकड़ कर घसीट कर ले जाते हुए देखा। हमारे घर में आग लगी हुई। माँ रोती हुईं।“ लैखलन ने अपना सिर हिलाया। “इस आभास के सच होने से पहले हमें चले जाना चाहिए। मेरी तरह तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि इसे रोकने का इकलौता रास्ता है कि हम अपना रास्ता बदल लें।“

“मैं? लेकिन क्यों?” लिली की फुसफुसाहट कमरे के पार गूँजी।

दा ने माँ की तरफ देखा। “मुझे लगता है इन्हें बताने का समय आ गया है कि स्कॉटलैंड में क्या हुआ था।“

माँ ने दृढ़ता से सिर हिलाया। “सब लोग बैठो।“

लकड़ी की एक गोल टेबल के चारों तरफ मुआह के परिवार के बैठते समय उसने एक चिढ़भरी साँस छोड़ी। “हम स्कॉटलैंड के बारे में पहले से ही जानते हैं।“

सिर हिलाते हुए दा की आँख से एक आँसू ढुलक पड़ा। “नहीं, पूरी बात नहीं, बच्ची।“

“देखो,” माँ ठहरीं, दा का हाथ अपने हाथ में ले लिया, “हमने स्कॉटलैंड इसलिए नहीं छोड़ा था क्योंकि हम ऐसा चाहते थे। हम वहाँ से खुद को और तुम लोगों को बचाने के लिए भागे थे।“

“किस चीज़ से?” लिली ने अपनी फैली हुई आँखें दा की तरफ घुमाईं।

उन्होंने अपने गाल से वह आँसू पोंछा। “तुम्हारी माँ, भगवान उसकी आत्मा को शांति दे, और साथ में समुएल के दा और लैखलन की माँ, के ऊपर जादूगर और डायन होने का इल्ज़ाम लगाया गया था।“ भावुकता से उनकी आवाज़ टूट गई और लिली ने अपना हाथ उनकी बाँह पर रख दिया, और हल्के से गोलाई में घुमाने लगी। “तुम्हारी प्यारी माँ ने मुझे बचे हुए बच्चों की हिफ़ाज़त करने को कहा,” उन्होंने उस औरत की तरफ नजर डालते हुए कहा, जिसे वे सब अब माँ कहते थे, “और तुम्हारी आन्टी ऐलिस को।”

माँ ने भौहें चढ़ाईं, उनकी आँखें अनबहे आँसुओं से चमक रही थीं। “जिस तरह वहाँ के लोग उनकी शक्तियों को नहीं समझ सके, उसी तरह यहाँ के लोग भी तुम्हारी शक्तियों को नहीं समझ पाएँगे। इसलिए हमने तुम्हें इन्हें छिपा कर रखना सिखाया। मैं नहीं जानती कि हम कैसे पकड़े जाएँगे, लेकिन लैखलन और समुएल ठीक कह रहे हैं। हमें जाना होगा।“

लैखलन के अपनी जगह बदलते समय उसकी कुर्सी फर्श से रगड़ खा गई। “मेरे दा का क्या हुआ?”

“यह सब कुछ बहुत दुखद है।“ माँ ने सिर झुका लिया, उनके कन्धे काँप रहे थे। “जो भीड़ तुम्हारी माँ के लिए आई, उन्होंने तुम्हारे दा पर इतनी ज़ोर से वार किया कि उनके बचने का कोई सवाल ही नहीं था।“ सिसकते हुए उन्होंने लैखलन से नज़र मिलाने के लिए अपना सिर उठाया। “शायद अच्छा ही हुआ, क्योंकि वे जलाए जाने से बच गए।“

मुआह का दिल उसकी पसलियों से टकरा रहा था। उसकी माँ को जलाया गया था – डायन होने का इल्ज़ाम लगाया गया था…हत्या की गई थी।

वह चीखना चाहती थी, दौड़ना चाहती थी, जो भी उसे बताया गया उस सब को भुला देना चाहती थी। उसे पता था कि उसकी माँ दूसरों के साथ मर गई थीं, लेकिन उसे हमेशा यह बताया गया था कि वह एक दुर्घटना थी। और कुछ नहीं। उसकी गोद में उसने अपने हाथ एक दूसरे में जकड़ लिए और दा पर निगाह जमा दी। “और अब यही नियति हमारी होने वाली है?”

“नहीं।” समुएल खड़ा हो गया। “अभी तक कोई नहीं आया है। उनके आने से पहले हमें निकल जाना चाहिए।“

माँ ने भी खड़े होते हुए अपना सिर हिलाया। “चलो, जल्दी करो। जो बिल्कुल ज़रूरी हो वही लेना, और जितना समान उठा सको, उससे ज़्यादा कुछ मत लेना।“

लिली रसोई के पार आधी दूर जाकर ठिठकी और अपने माता-पिता की ओर मुड़ी। “हम जाएँगे कहाँ? दूसरों की तरह स्पेन?”

“नहीं।“ दा ने अपना सिर हिलाया, “हम समंदर किनारे तक पैदल जाएँगे, फिर इंग्लैंड के लिए समुद्री जहाज़ में बैठ जाएँगे।“

“अब जल्दी करो।“ माँ ने हाथ हिला कर रसोई के दरवाज़े की ओर इशारा किया।

मुआह लिली के पीछे-पीछे भागी और उनके बेडरूम में दाखिल हुई। ज़रूरत का सामान छोटे बैगों में भरते समय किसी ने भी बातचीत में समय नष्ट नहीं किया। मुआह का काम खत्म होने के बाद वह लिली को देखती हुई दरवाज़े के पास खड़ी हो गई। अपना बैग पैक करते हुए उसकी प्यारी बहन सिर से पाँव तक काँप रही थी। क्या उनकी बाकी ज़िंदगी ऐसी ही गुज़रने वाली थी? हमेशा अपनी शक्तियाँ छुपाते रहना? उस दिन का इंतज़ार करते रहना जब फिर से सब कुछ पीछे छोड़ना पड़ेगा? उनके आने वाले बच्चों का क्या होगा?

मुआह ने अपने अंदर चल रही विचारों और भावनाओं की उथल-पुथल से बचने के लिए आँखें बंद कर लीं। ऐसी कई चीज़ें थीं जिन्हें वह वश में नहीं कर सकती थी, लेकिन उसने उसी पल अपने मन में निश्चय कर लिया। ईश्वर को साक्षी मान कर, वह जितना हो सके चीज़ों को वश में रखेगी।

वह यह सुनिश्चित करेगी कि वह अपनी शक्तियाँ आने वाली पीढ़ियों को न दे, सुनिश्चित करेगी कि उसके बच्चे उसकी परेशानियों के हिस्सेदार न हों। मुआह कभी शादी नहीं करेगी। अपना खुद का कोई परिवार नहीं बनाएगी।

“मुआह।“

उसने आँखें खोलीं और लिली को अपने पास खड़े पाया, जिसके हाथ में बैग था। “क्या तुम तैयार हो?” मुआह ने पूछा।

लिली ने सिर हिलाया और उसके पास से निकली, फिर उसकी ओर घूम कर उसके ठीक सामने रुक गई। “तुम एक पल पहले क्या सोच रही थीं?”

“कि मैं कभी शादी नहीं करूँगी।“ मुआह ने कहा।

लिली ने अपना सिर बहुत हल्के से तिरछा किया। “पर वह तो तुम करोगी ही।“

“नहीं, मैं नहीं करूँगी। क्योंकि मैं इतनी क्रूर दुनिया में अपने बच्चों को लाने से इनकार करती हूँ।“ मुआह ने अपने कन्धे ताने और चेहरा ऊँचा उठाया। “मैं एक मासूम नवजात बच्चे के साथ इस तरह की चीज़ें नहीं होने दूँगी।“ उसने अपने आसपास की जगह में अपने हाथ लहराए। “उन्हें उनकी या मेरी सुरक्षा की चिंता में नहीं डालूँगी।“

लिली ने अपनी साफ़ नीली आँखों से उसे देखा, जो हमदर्दी से भरी हुई थीं। “मैं समझती हूँ, हालाँकि मैं आशा करती हूँ कि किसी दिन तुम इस पर पुनर्विचार करोगी।“

“मैं नहीं करूँगी। कभी भी नहीं।“ मुआह ने दृढ़ता से अपना सिर हिलाया। “हमारी शक्तियाँ कोई तोहफ़ा नहीं हैं। ये अभिशाप हैं।“

लिली ने आह भरी। “तुम गलत हो, और किसी दिन तुम यह समझ जाओगी।“

लिली के पीछे कामरे से बाहर निकलते हुए मुआह ने सिर हिलाया। वह नहीं जानती थी कि अगले चंद मिनटों बाद ज़िंदगी कैसी होगी, लेकिन वह अपने रास्ते पर चलने के लिए दृढ़संकल्प थी। वह एकांतवासी जीवन जिएगी। एक चिरकुमारी का जीवन – अकेली और अपने अभिशाप को दूसरों को देने में अक्षम। वह अपने हाथ खून नहीं लगने देगी।

कोई भी चीज़ उसे इस निर्णय के खिलाफ़ नहीं डिगा पाएगी।

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